पश्चिम दिशा मे जब अस्ताचल गामी सूर्य की किरणे किसी मजार को प्रणाम कर करती है तो याद आता हे नजारा- बाबा मीरा साहब की दरगाह का।
बून्दी नगर की पूर्वी पहाडी पर निर्मित मीरा साहब की दरगाह प्रथम दरगाह होने का श्रेय प्राप्त करती है। मीरा साहब के संक्ष्प्ति नाम से पूजित इस संत की मजार की प्रमुख विशेषता इस पर पांच मीनारो का निर्माण है। जबकि प्राय: अन्य मजारो पर चार मीनारे होती है। इसमे पास ही प्राकुतिक जलाशय के साथ ही मध्ययुगीन एक भवन भी बना है। ईद के पर्व पर यहां भव्य मेला लगता है।
यहां के बारे मे एक कहावत प्रसिद्ध है:-
दारू गोली रंगजी की मदद मीरा साहब
बाबा मीरा साहब हमारे बुजुर्ग हे हमारा खूनी रिसता है हम 2-3 बार वहा पूरे खानदान सहित आए है लेकिन हमें वहां की कमेटी से मुलाकात नहीं हुई है
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