चौगान दरवाजे के समीप नागर-सागर कुण्ड का मूल नाम गंगासागर और यमुनासागर है। बून्दी शहर के ह़दय में इस कुण्ड का निर्माण संवत 1942 में रावराजा रामसिंह की रानी चन्द्रभान कंवर ने जन-सेवार्थ करवाया था। आमजनों को जल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से निर्मित ये कुण्ड अपने शास्त्र सम्मत स्थापना, संयोजन और तक्ष्ण कला के लिए अपनी विशिष्ठ पहचान रखता है। लगभग 60 फीट गहरे इन दोनों कुण्डो की सुन्दरता इनकी सीढियों से है। इसके चारो और संगमरमर की छतरियों के स्तम्भों पर निर्मित बेलबूटे और गमलों की नक्काशी बेजोड है। यहां पर गजलक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की शास्त्रोंक्त प्रतिमाएं भी स्थापित है।
0 नागर-सागर कुण्ड
चौगान दरवाजे के समीप नागर-सागर कुण्ड का मूल नाम गंगासागर और यमुनासागर है। बून्दी शहर के ह़दय में इस कुण्ड का निर्माण संवत 1942 में रावराजा रामसिंह की रानी चन्द्रभान कंवर ने जन-सेवार्थ करवाया था। आमजनों को जल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से निर्मित ये कुण्ड अपने शास्त्र सम्मत स्थापना, संयोजन और तक्ष्ण कला के लिए अपनी विशिष्ठ पहचान रखता है। लगभग 60 फीट गहरे इन दोनों कुण्डो की सुन्दरता इनकी सीढियों से है। इसके चारो और संगमरमर की छतरियों के स्तम्भों पर निर्मित बेलबूटे और गमलों की नक्काशी बेजोड है। यहां पर गजलक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की शास्त्रोंक्त प्रतिमाएं भी स्थापित है।
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